Not known Details About shiv chalisa lyrics in english with meaning
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अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं - प्रेरक कहानी
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
यह एक चमत्कारीक स्त्रोत है जिसका पाठ करने से भोलेनाथ तो प्रसन्न होते ही है, साथ ही इससे बिगड़े हुए काम भी बन जाते है। इस स्त्रोत के पाठ शिव रात्रि या सावन के महीने में शुभ मानते है। शिव जी की अगर कोई श्रद्धा click here पूर्वक भक्ति करता है तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है। इसी कारण से भोले नाथ को ‘आशुतोष’ के नाम से भी जाना जाता है।
अर्थ- हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
भगवान शिव की महिमा का बखान करने के लिए अनेकों अष्टकों की रचना हुई है, जिनमें शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक काफी प्रसिद्ध हैं, जिसमें शिवाष्टक का विशेष महत्व है।
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।